यदि दसवे (१०) वे भाव में स्थित ग्रह अथवा दसवे (१०) भाव का स्वामी ग्रह निम्न हो तो :-
1. सूर्य- बहुत आशाएं , उमंग रखने वाला , बड़ा अधिकारी बनना चाहे। उच्च पद प्राप्ति,सरकारी सेवा , किसी के अधीन रहना बहुत मुश्किल। डॉक्टर , लीडर, प्रबंधक।
2. चन्द्रमा- व्यापार, प्रोविज़न स्टोर, कृषि , पैतृक भूमि, साहित्य, रोज़गार में परिवर्तन हेतु मन में विचार आते रहे।
3. मंगल-जोखिम के काम , पुलिस, सेना , मैकेनिकल काम, सर्जन , धातु उद्योग , केमिस्ट , फायर ब्रिगेड , होटल, ढाबा , इंजिनियर आदि।
4. यदि बुध कहीं भी अकेला तथा अशुभ प्रभाव में ना हो तो, जातक व्यापार में बहुत उन्नति करता है.
5. जब शनि के आगे राहू (जैसे -शनि ५ वे भाव में हो और ७ वे भाव में राहू हो और इनके बीच में कोई ग्रह नही हो ) तो जातक को ३५ साल की उम्र तक रोज़गार सम्बन्धी निराशा का ही सामना करना पड़ता है। किसी भी कार्य में पक्के तौर पर पैर नहीं जमते है।
6. जिस जातक का मेष, कर्क, तुला, मकर लग्न होतो, वह जातक लीडर, उच्च पद प्राप्त करता है। उसकी इच्छायें बड़ी-बड़ी ऊंची तथा महान होती है , इसको किसी के अधीन काम करना मुश्क़िल है।
7. यदिजातक का जन्म वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ हो तो जातक प्रबंधक अथवा कंपनी का मालिक के रूप में पहचाना जाता है।
8. यदि मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्न होतो, ये जातक प्रबंधकीय, अथवा दायित्वपूर्ण कार्यों में कम सफल होते है। बल्कि किसी के अधीन काम करके ही लाभ उठा सकते है। ये परिचारक , लेखक, आदि क्षेत्रों में अधिक सफल होते है.