Dharmendra सिने कलाकार धर्मेन्द्र जी की जन्मकुंडली
भारतीय फिल्मों के लोकप्रिय, प्रतिभावान एवं मशहूर सितारे धर्मेन्द्र का जन्म ०८-१२-१९३५ को पंजाब के लुधियाना शहर के पास एक छोटे से गाँव नसराली में हुआ। इनका जन्म -लग्न वृश्चिक (अतः बलिष्ठ एवं पहलवाननुमा शरीर के स्वामी) तथा जन्म-राशी मेष होकर स्वग्रही शुक्र से दृष्ट होने से भावुक ह्रदय, रोमांटिक, कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त एक कामयाब इन्सान हैं। राजयोग- (१)- इनकी पत्रिका में लग्नेश मंगल उच्च का होकर तृतीय( पराक्रम भाव) में विराजमान है, जब लग्न स्वामी बलि होकर शुभ स्थान में है स्थित हो तो व्यक्ति की अपने कार्य-क्षेत्र में सफलता निश्चित है। यहाँ पर लग्न स्वामी जो की स्वयं एक पाप ग्रह है तथा तृतीय स्थान जो की पापग्रह के यहाँ होने से अत्यंत बली हो गया है, इस कारण धर्मेन्द्र जी ने सफलता की उचाईयों को छुआ। (२)
- लग्न में पंचमेश गुरु(कला स्थान तथा धन स्थान स्वामी)+कर्मेश सूर्य(कर्म स्थान स्वामी) तथा आयेश ( आय स्थान स्वामी की युति। इन तीन ग्रहों की युति के उत्तम संयोग ने इन्हें महान कलाकार बनाया। (३)- चतुर्थ स्थान में स्वग्रही शनि स्वयं विराजमान हैं- अतः 'पञ्चमहापुरुष योग' भी निर्मित है। चतुर्थ भाव जनता का भाव भी है साथ में शनि जनता का करक ग्रह है, ऐसी उत्तम स्थिति में शनि की उपस्थिति ने इन्हें जनता का चहेता बनाया। (४)- बारहवां स्थान ऐशो-आराम, भोगलिप्सा, विलासिता का स्थान है, यहाँ पर इन सभी गुणों के कारक शुक्र स्वग्रही होकर डटें हैं - परिणाम आपके सामने है।
भारतीय फिल्मों के लोकप्रिय, प्रतिभावान एवं मशहूर सितारे धर्मेन्द्र का जन्म ०८-१२-१९३५ को पंजाब के लुधियाना शहर के पास एक छोटे से गाँव नसराली में हुआ। इनका जन्म -लग्न वृश्चिक (अतः बलिष्ठ एवं पहलवाननुमा शरीर के स्वामी) तथा जन्म-राशी मेष होकर स्वग्रही शुक्र से दृष्ट होने से भावुक ह्रदय, रोमांटिक, कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त एक कामयाब इन्सान हैं। राजयोग- (१)- इनकी पत्रिका में लग्नेश मंगल उच्च का होकर तृतीय( पराक्रम भाव) में विराजमान है, जब लग्न स्वामी बलि होकर शुभ स्थान में है स्थित हो तो व्यक्ति की अपने कार्य-क्षेत्र में सफलता निश्चित है। यहाँ पर लग्न स्वामी जो की स्वयं एक पाप ग्रह है तथा तृतीय स्थान जो की पापग्रह के यहाँ होने से अत्यंत बली हो गया है, इस कारण धर्मेन्द्र जी ने सफलता की उचाईयों को छुआ। (२)
- लग्न में पंचमेश गुरु(कला स्थान तथा धन स्थान स्वामी)+कर्मेश सूर्य(कर्म स्थान स्वामी) तथा आयेश ( आय स्थान स्वामी की युति। इन तीन ग्रहों की युति के उत्तम संयोग ने इन्हें महान कलाकार बनाया। (३)- चतुर्थ स्थान में स्वग्रही शनि स्वयं विराजमान हैं- अतः 'पञ्चमहापुरुष योग' भी निर्मित है। चतुर्थ भाव जनता का भाव भी है साथ में शनि जनता का करक ग्रह है, ऐसी उत्तम स्थिति में शनि की उपस्थिति ने इन्हें जनता का चहेता बनाया। (४)- बारहवां स्थान ऐशो-आराम, भोगलिप्सा, विलासिता का स्थान है, यहाँ पर इन सभी गुणों के कारक शुक्र स्वग्रही होकर डटें हैं - परिणाम आपके सामने है।
सफलता एवं व्यक्तिगत जीवन जन्मकुंडली के तारतम्य में- धर्मेन्द्र का प्रथम विवाह १९५४ में हुआ तब चन्द्रमा में शुक्र का अंतर ( २५-११-१९५२ से २५-०७-१९५४) चल रहा था- वैवाहिक मंगल कार्य हुआ। द्वितीय विवाह हेमामालिनी से २१-०८-१९७९ को हुआ तब राहू में मंगल का अंतर चल रहा था। सन १९६० में वे वर्ल्ड के प्रथम पांच खूबसूरत हस्ती के रूप में चुने गए, इस वक्त मंगल में शुक्र के अंतर (१९-१२-१९५९ से १९-०२-१९६१) ने एक पहचान के साथ-साथ निर्देशक अर्जुन हिंगोरानी ने इन्हें अपनी फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' के लिए साइन किया। सन १९६६ में इन्होने गोल्डन जुबिली फिल्म 'फूल और पत्थर' के सुपर हिट होने पर सुपर-स्टारडम का स्वाद चखा, इस वक्त इनकी राहू में गुरु अन्तर्दशा (०७-१०-१९६४ से ०१-०३-१९६७) चल रही थी, पंचमेश गुरु ने अपनी अन्तर्दशा में प्रथम पंक्ति के अभिनेताओं में स्थापित किया। १९६७ में ही (राहू में शनि की अन्तर्दशा) 'फूल और पत्थर' के लिए बेस्ट एक्टर अवार्ड से नवाजे गए। राहू की महादशा में शुक्र की अन्तर्दशा (१३-०८-१९७३ से १३-०८-१९७६) धर्मेन्द्र के लिए बहुत अच्छी रही। 'यादों की बारात' एक सुपरहिट फिल्म के साथ-साथ 'शोले' ने भारतीय फिल्मों में इतिहास रच दिया। शनि इनके लिए कारक्ग्रह है, चतुर्थ भाव में होने से जनता में इस समय इन्हें अत्यंत लोकप्रियता मिली। धर्मेन्द्र जी के लिए जब-जब भी शुक्र की अन्तर्दशा आई वह बड़ी सफलता ही लेकर आई, वर्तमान में चल रही शनि की महादशा में शुक्र के अंतर में १४ वीं लोकसभा (२००४) में बीकानेर से संसद सदस्य चुन कर आए... यशवंत कौशिक
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