_यदि बुध कहीं भी अकेला तथा अशुभ प्रभाव में ना हो तो, जातक व्यापार में बहुत उन्नति करता है.
_जब शनि के आगे राहू (जैसे -शनि ५ वे भाव में हो और ७ वे भाव में राहू हो और इनके बीच में कोई ग्रह नही हो ) तो जातक को ३५ साल की उम्र तक रोज़गार सम्बन्धी निराशा का ही सामना करना पड़ता है। किसी भी कार्य में पक्के तौर पर पैर नहीं जमते है।
_जिस जातक का मेष, कर्क, तुला, मकर लग्न होतो, वह जातक लीडर, उच्च पद प्राप्त करता है। उसकी इच्छायें बड़ी-बड़ी ऊंची तथा महान होती है , इसको किसी के अधीन काम करना मुश्क़िल है।
_यदिजातक का जन्म वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ हो तो जातक प्रबंधक अथवा कंपनी का मालिक के रूप में पहचाना जाता है।
_यदि मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्न होतो, ये जातक प्रबंधकीय, अथवा दायित्वपूर्ण कार्यों में कम सफल होते है। बल्कि किसी के अधीन काम करके ही लाभ उठा सकते है। ये परिचारक , लेखक, आदि क्षेत्रों में अधिक सफल होते है
_जब शनि के आगे राहू (जैसे -शनि ५ वे भाव में हो और ७ वे भाव में राहू हो और इनके बीच में कोई ग्रह नही हो ) तो जातक को ३५ साल की उम्र तक रोज़गार सम्बन्धी निराशा का ही सामना करना पड़ता है। किसी भी कार्य में पक्के तौर पर पैर नहीं जमते है।
_जिस जातक का मेष, कर्क, तुला, मकर लग्न होतो, वह जातक लीडर, उच्च पद प्राप्त करता है। उसकी इच्छायें बड़ी-बड़ी ऊंची तथा महान होती है , इसको किसी के अधीन काम करना मुश्क़िल है।
_यदिजातक का जन्म वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुम्भ हो तो जातक प्रबंधक अथवा कंपनी का मालिक के रूप में पहचाना जाता है।
_यदि मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्न होतो, ये जातक प्रबंधकीय, अथवा दायित्वपूर्ण कार्यों में कम सफल होते है। बल्कि किसी के अधीन काम करके ही लाभ उठा सकते है। ये परिचारक , लेखक, आदि क्षेत्रों में अधिक सफल होते है
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