Tuesday, November 16, 2010

THE CRYSTAL GLOBE IN THE KNOWLEDGE/EDUCATION'S CORNER


Keep the crystal globe in the knowledge and education corner. It will increase the knowledge/education of the children and others. Direction is situated near your entrance door when enter (left side corner). Globe should revolve thrice in a day. Computer table or any education related articles like books etc. can set in for energized the corner, map of the world can also hang.

Saturday, November 13, 2010

CHIMERA


Mostly it consists the front part of a lion, middle part of a goat with two horn on the head and a tail with snake. It will reflects sha chi( bad energy) and also stops all the anti-socials in the form of thieves, dacoits, gundas etc. A photo or painting can set upper side of the front door. The people who indulge in these types of activities do not use it otherwise they will be thrown out of the house and will be in danger.

FU-DOG


It comes in a pair, its image(statue) can set both (out) side of entrance door. This will send back any bad energy coming to the house in the form of evil spirits, black magic or any bad thinking of the people and members reside in will safe. The photo or painting can use also and the result will be same as of a image(statue).

MANDARIN DUCKS


The pair of Mandarin ducks are used for early marriage of girls. If already married then it can be use for conjugal fidelity also. It should be kept in south-west corner of the bedroom or in the left side corner of the house in ending when you entered. . A image(statue) works good, you can use its photo or painting too.

Saturday, May 8, 2010

फेंग-शुई क्या है ?

फेंग-शुई वास्तव में चीन का वास्तु-शास्त्र है। फेंग यानि हवा और शुई मतलब पानी। फेंग-शुई चीन की पांच हजार वर्ष प्राचीन रहस्यमयी विद्या, कला व विज्ञानं है। भारतीय वास्तुशास्त्र तथा फेंग-शुई में अंतर इतना है की वास्तु की योजना पूर्व में बनाना होती है तत्पश्चात निर्माण किया जाता है, यदि बिना योजना के निर्माण कार्य किया गया है तो उसमें निश्चित तौर पर कुछ न कुछ वास्तुदोष होंगे, उन्हें दूर करने के लिए उपाय स्वरुप उन दोषों को हटाना पड़ेगा यानि तोड़फोड़ करना पड़ेगी। जबकि फेंग-शुई में निर्माण पश्चात् वास्तु या फेंगशुई दोषों को दूर करने के लिए फेंग-शुई के कुछ अर्टिकल्स आदि उन स्थानों पर रखने होते हैं, प्रकाश, रंग, मिरर, पानी, चित्रों, पेंटिंग, आदि से भी इन दोषों को दूर किया जाता है। उल्लेखनीय है की फेंग-शुई के उपाय निश्चित ही कारगर होते हैं बस एक बार अपना कर देखिये। इस प्रकार आज से हजारों वर्ष पूर्व चीनवासियों ने यह पता लगा लिया था की प्रकृति से संघर्ष का रास्ता छोड़ कर यदि उसके साथ सामंजस्य स्थापित किया जाए तो जीवन स्तर को विकसित किया जा सकता है। आज फेंग-शुई के उपाय चीन या भारत में ही नहीं पूरे विश्व में फ़ैल चुके हैं तथा जापान, कोरिया, हांगकांग, सिंगापूर सहित कई पश्चिमी देशों में भी इसका भरपूर उपयोग हो रहा है तथा लोग व्यक्तिगतरूप से, संगठित उद्योगजगत, सरकारी उपक्रम अपनी बिल्डिंगों, माल्स, होटल्स, फैक्ट्री, कारखानों में इसे अपनाकर लाभान्वित हो रहे हैं।

Friday, May 7, 2010

अनलकी डायरेक्शन या नकारात्मक दिशाएँ

१ - अनलकी या मृत्यु दिशा- आपके घर की यह दिशा अत्यंत बुरी होती है तथा मुख्य दरवाजे के लिए तो और भी बुरी। अगर किसी के मुख्य दरवाजे का मुख इस तरफ हो तो उस घर के सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता, धन, तथा मान-सम्मान की हानि होती है, इस दिशा का 'चुह मिंग' भी कहते हैं। २ - फाइव घोस्ट या पांच भूत - पांच भूतों वाली दिशा 'वू कूई' कहलाती है तथा आग, चोरी या वित्तीय समस्याओं से जुडी होती है। साथ ही कहासुनी तथा वादविवाद का कारण भी यही दिशा होती है। अगर आपके मुख्य दरवाजे का मुख इस तरफ होगा तो आग व चोरी का भय होगा। - सिक्स किलिंग या छः जहरीले तीर (शार्स) - छः शार्स की दिशा घोटालों, क़ानूनी समस्याओं व हानि से जुडी होती है। आमतौर पर इसे 'लूई शार' कहते हैं, जिसका अर्थ है छः मृत्यु लेकिन यह रसोई या शौचालय के लिए उत्तम होती है। ४ - टोटल लास या विनाश - विनाश की दिशा का सम्बन्ध झगडे, क्रोध, आक्रमण,तथा क़ानूनी समस्याओं से होता है। साधारणतः इसे 'ही हई' दिशा कहते हैं जिसका अर्थ है दुर्घटनाएँ तथा खतरा। यह स्टोर या शौचालय के लिए उपयुक्त रहता है। अगर आपका बिस्तर इस दिशा में होगा तो आपको अनेक छोटी-मोटी दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ेगा। सारगर्भित- सार यह है की आपको अपनी सकारात्मक (लकी) दिशाओं का उपयोग शुभ कार्यों जैसे मुख्य दरवाजे के लिए, सोने के लिए, व्यापारिक कार्यों, ऑफिस में बैठने के स्थान के लिए, महत्वपूर्ण कागजों(चैक आदि) पर हस्ताक्षर करते समय करना चाहिए। कई लोग जो जुआ आदि खेलते हैं वे भी अपनी सकारात्मक (शेंग ची) दिशा की तरफ मुख रखते हैं तथा जीतते चले जाते हैं। इसी प्रकार हर घर में नकारात्मक दिशाएँ होती ही हैं, उनका उपयोग वहां रसोई-घर, स्टोर या शौचालय के लिए करना चाहिए। वैसे फेंग-शुई के अनुसार घर में रसोई-घर तथा बाथरूम से पाइप द्वारा 'ची' (शुभता) जो धन का ही रूप है बह जाता है, जिसे हम फेंग-शुई के विभिन्न उपायों के द्वारा रोकते हैं लेकिन यदि कुआ नंबर के अनुसार कोई बुरी दिशा है तो वहां पर रसोई-घर या बाथरूम बनाया जा सकता है।

Wednesday, May 5, 2010

लकी डायरेक्शन या सकारात्मक दिशाओं का विस्तृत वर्णन

१ - सफलता या सम्रद्धि की दिशा(सक्सेस)- व्यक्ति के लिए यह सबसे प्रमुख दिशा है, जिसे शेंग-ची भी कहा जाता है। यह , प्रगति, उत्साह, उर्जा और आर्थिक सफलताओं की सूचक होती है। साथ ही प्रमुख दरवाजे, रसोई, पढाई के कमरे के दरवाजे के लिए उत्तम स्थिति होती है। इस दिशा को जाग्रत करने से आर्थिक संभावनाएं बढ़ जाती हैं। सम्रद्धि की दिशा आपकी सबसे महत्वपूर्ण दिशा होती है। आपका का मुख्य दरवाजा इस दिशा में होना चाहिए तथा कार्य पर जाते समय इस दिशा से जाएँ। यदि आप किसी प्रतिष्ठान के प्रमुख हैं तो ऑफिस में बैठक इस प्रकार हो की आपका मुख इस दिशा की तरफ हो, सभी महत्वपूर्ण कार्य इस दिशा को फेस करते हुए हो, सोते समय बेड इस प्रकार रखा हो की यह दिशा सामने हो। आप निश्चित रूप से सफल होंगे, सफलता आपके कदम चूमेगी। 2 - स्वास्थ्य (हेल्थ) - स्वास्थ्य दिशा को साधारणतः 'तीन यी' कहते हैं । यह क्षेत्र अच्छे स्वास्थ्य को जन्म देता है। बड़े शयन कक्ष के लिए यह दिशा उत्तम मानी जाती है, इसी के साथ खाने के कमरे के लिए भी क्यों की यह दिशा जीवन में अच्छे मित्रों को भी बढ़ावा देती है। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है तो अपने बिस्तर को स्वास्थ्य दिशा की तरफ कर दें। ३ -रिलेशनशिप एवं पारिवारिक विकास(रिलेशनशिप) - इस दिशा को 'नीन यी' (दीर्घ जीवन कई संतानों के साथ) कहते हैं तथा यह शांति, समरसता और अच्छा स्वास्थ्य देता है। यह करीबी पारिवारिक संबंधों का परिचायक है तथा बड़े व्यक्तियों के शयनकक्ष के लिए उत्तम स्थान होता है। इसके अलावा बैठक या खाने के कमरे के लिए भी उपयुक्त रहता है। परिवार के सदस्यों में जब भी कोई तकरार हो तो इस क्षेत्र को जाग्रत करना चाहिए। ४ - व्यक्तिगत विकास की दिशा(पर्सनल डेवलपमेंट) - इस दिशा को 'फू वेई' (अच्छा जीवन) कहा जाता है। इसका सम्बन्ध प्रसन्नता एवं संतोष से होता है तथा घर का यह भाग शयनकक्ष के लिए भी उत्तम रहता है। वैसे यह भी मान्यता है की यहाँ शयनकक्ष होने पर पुत्र ज्यादा होते हैं और पुत्रियाँ कम। प्रबंधक की स्थिति वाले व्यक्ति अगर टेबल का मुख 'प्रमुख' दिशा की तरफ रखेंगें तो उन्हें लाभ होगा।

Wednesday, April 28, 2010

फेंगशुई के अनुसार आपके लिए शुभ एवं अशुभ दिशाएं तथा कुआ नंबर जानने की विधि

फेंगशुई के अनुसार व्यक्तियों को दो समूहों मे रखा गया है, पूर्व एवं पश्चिम. आप किस समूह में आते हैं तथा आप का कुआ अंक क्या है यह जानने के लिए आपके जन्मवर्ष के अंतिम दो अंको को १० की संख्या में से घटाना पड़ेगा. जैसे- १९५४ वर्ष के लिए ५+४=९, इसे १० में से घटाने पर शेष १ मिला, यह आपका कुआ अंक हुआ, यह विधि पुरुषों के लिए है. यदि आप महिला हैं, मान लें आपका जन्म १९५४ है तो ५+४=९, इस ९ की संख्या मे ५ जोड़ना होंगे, ९+५=१४, १+४=५, यहाँ पर ५ आपका कुआ अंक हुआ. यह कुआ अंक जानने की विधि २०वीं सदी में जन्में व्यक्तियों पर लागू होती है. २१वीं सदी मे जन्म लेने वालों के लिए पुरुषों को जन्म वर्ष की इकाई संख्या को ११ में से घटाना पड़ेगा तथा महिलाओं को ६ की संख्या जोड़ना होगी. कुआ अंक १, ३, ४, ९ वाले व्यक्ति पूर्व समूह मे आते हैं, इनके लिए उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं शुभ मानी जाती हैं. इसी प्रकार कुआ अंक २, ५, ६, ७, ८, वाले व्यक्ति पश्चिम समूह के माने जाते हैं, इनके लिए पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम तथा उत्तर-पूर्व दिशाएं शुभ मानी गई हैं.संबन्धित समूह इनसे से संबंधित दिशाओं का उपयोग अपने विभिन्न कार्यों के लिए जैसे पढ़ते समय, सोने के लिए, खाना खाते समय तथा व्यवसायी अपने कार्यस्थल में बैठते समय, एमपलोईज़ अपने कार्यालय में इनका लाभ ले सकते हैं. पूर्व समूह के व्यक्तियों के लिए पश्चिम समूह वाले व्यक्तियों की दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. इसी प्रकार पश्चिम समूह वाले व्यक्तियों के लिए पूर्व समूह वाले व्यक्तियों की दिशाएं अशुभ मानी जाती है. कुआ अंक के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के लिए चार दिशाएं शुभ होती हैं, पहली को सफलता की दिशा, द्वितीय को स्वास्थ्य की दिशा, तृतीय को परिवारिक विकास की दिशा तथा चतुर्थ को व्यक्तिगत विकास की दिशा कहते हैं. इसी तरह से प्रत्येक कुआ अंक के व्यक्ति के लिए चार अशुभ दिशाएं भी होती हैं, जिसमें पहली अनलकी, दूसरी फाइव घोस्ट, तीसरी सिक्स किलिंग तथा चौथी को टोटल लॉस कहते हैं. इसलिए सफलता की दिशा को देखते हुए ही कार्य करने की सलाह दी जाती है तथा यह भी कहा जाता है की स्वास्थ्य की दिशा में सिर रखकर सोना चाहिए. घर या कार्यालय में अशुभ दिशाओं में स्थिर एवं भारी चीज़ें रखना चाहिए. पूर्व समूह के अंकों में कुआ अंक १ के लिए दक्षिण-पूर्व, पूर्व, दक्षिण तथा उत्तर दिशाएं शुभ, जबकि पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये जल तत्व के होते हैं तथा इनका शुभ रंग हरा है. कुआ ३ के लिए दक्षिण, उत्तर, दक्षिण-पूर्व तथा पूर्व दिशाएं शुभ, जबकि दक्षिण-पश्चिम,उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये लकड़ी तत्व के होते हैं तथा लाल एवं नारंगी रंग इनके लिए शुभ माने जाते हैं. कुआ अंक ४ के लिए उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं शुभ और पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये लकड़ी तत्व के होते हैं और इनके लिए काला एवं नीला रंग शुभ माना जाता है. इसी समूह के अंक ९ के लिए दक्षिण-पूर्व, पूर्व,दक्षिण तथा उत्तर दिशाएं शुभ जबकि दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, उत्तर-पूर्व तथा पश्चिम दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं.ये अग्नि तत्व के होते हैं तथा हरा एवं भूरा रंग इनके लिए शुभ होता है.पश्चिम समूह के अंकों में कुआ अंक २ के लिए पश्चिम,उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशाएं शुभ और उत्तर, दक्षिण,पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये भूमि तत्व के होते हैं और इनका शुभ रंग पीला तथा मटमैला होता है. अंक ५ वाले पुरुषों के लिए उत्तर-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम दिशाएं शुभ और पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण और उत्तर दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये भूमि तत्व के होते हैं और इनका शुभ रंग पीला एवं मटमैला होता है. अंक ५ वाली महिलाओं के लिए दक्षिण-पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और उत्तर-पूर्व दिशाएं शुभ तथा उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये भूमि तत्व की होती हैं और इनका शुभ रंग पीला एवं मटमैला होता है. अंक ६ के लिए पश्चिम, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशाएं शुभ, जबकि उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं अशुभ होती हैं. ये धातु तत्व के होते हैं और सफेद एवं स्लेटी रंग इनके लिए शुभ होता है. अंक ७ के लिए पश्चिम,उत्तर-पूर्व,उत्तर-पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम दिशाएं शुभ, जबकि पूर्व, दक्षिण-पूर्व, दक्षिण और उत्तर दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये धातु तत्व के होते हैं और सफेद एवं स्लेटी रंग ही इनके लिए भी शुभ होता है. अंक ८ के लिए उत्तर-पूर्व, पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम दिशाएं शुभ और उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा दक्षिण-पूर्व दिशाएं अशुभ मानी जाती हैं. ये भूमि तत्व के होते हैं. इनका शुभ रंग पीला तथा मटमैला होता है.