Tuesday, December 23, 2014

शुक्र

             शुक्र _ शुक्र ग्रह जातक के जीवन में भौतिक सुखों तथा के साथ-साथ दाम्पत्य जीवन तथा जातक के अवैध संबंधों के बारे में भी बता देता है।  जिस जातक /जातिका कुंडली में शुक्र नवांश कुंडली में बुध की राशि मिथुन, अथवा कन्या राशि में होता है , उस जातक/जातिका के जीवन में कभी भी अवैध सम्बन्ध हो सकते है। चाहे शुक्र कुंडली में स्वराशि, स्वनक्षत्र , अथवा उच्च राशि में ही क्यों न हो। यदि शुक्र नवांश कुंडली बुध के नवांश की में होतो, दाम्पत्य जीवन में विपरीत प्रभाव पड़ता ही है। २. यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या ) में होतो , भी उपरोक्त फल की संभावना रहती है।                                                                                                                          शुक्र की अन्य ग्रहों से युति के फल :  जब शुक्र (शनि, राहू, मंगल अथवा केतू के नक्षत्रों ) में होता है तो ,अथवा शनि ,मंगल की राशियों में होता है , तो दूषित हो जाता है। इसी प्रकार शुक्र यदि शनि, राहू , मंगल, केतू, या सूर्य की युति ,दृष्टि अथवा मध्यत्व से भी दूषित हो की जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक/जातिका में निम्न अवगुण आ सकते है। जातक/जातिका दुश्चरित्र, विवाह हीनता , विलम्ब से विवाह, जात्येतर विवाह, इतर यौन सम्बन्ध, अलगाव, तलाक अथवा कष्टप्रद दाम्पत्य जीवन आदि फल प्राप्त हो सकते है।

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