शुक्र _
शुक्र ग्रह जातक के जीवन में भौतिक सुखों तथा के साथ-साथ दाम्पत्य जीवन तथा जातक के अवैध संबंधों के बारे में भी बता देता है। जिस जातक /जातिका कुंडली में शुक्र नवांश कुंडली में बुध की राशि
मिथुन, अथवा कन्या राशि में होता है , उस जातक/जातिका के जीवन में कभी भी
अवैध सम्बन्ध हो सकते है। चाहे शुक्र कुंडली में स्वराशि, स्वनक्षत्र ,
अथवा उच्च राशि में ही क्यों न हो। यदि शुक्र नवांश कुंडली बुध के नवांश की
में होतो, दाम्पत्य जीवन में विपरीत प्रभाव पड़ता ही है।
२. यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या ) में होतो , भी उपरोक्त फल की संभावना रहती है।
शुक्र की अन्य ग्रहों से युति के फल :
जब शुक्र (शनि, राहू, मंगल अथवा केतू के नक्षत्रों ) में होता है तो ,अथवा शनि ,मंगल की
राशियों में होता है , तो दूषित हो जाता है। इसी प्रकार शुक्र यदि शनि,
राहू , मंगल, केतू, या सूर्य की युति ,दृष्टि अथवा मध्यत्व से भी दूषित हो की
जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप जातक/जातिका में निम्न अवगुण आ सकते है।
जातक/जातिका दुश्चरित्र, विवाह हीनता , विलम्ब से विवाह, जात्येतर विवाह,
इतर यौन सम्बन्ध, अलगाव, तलाक अथवा कष्टप्रद दाम्पत्य जीवन आदि फल प्राप्त
हो सकते है।
Tuesday, December 23, 2014
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